Friday, December 25, 2015

Nelgunda

पता न चला
कब हुए जुदा
वो वहाँ दूर... हम रह गए यहाँ

पता न चला
तकलीफ़ उनको हुई जाने में
या हमको हुई न जाने में

पता न चला
जुदा कौन किससे हुआ
हम उनसे या वो हमसे

अब सोचते बैठे हैं हम
हम वो हैं या हैं हम
तन और मन

Thursday, December 17, 2015

Choice

कल से आज...
वहाँ से यहाँ...

मुश्क़िल सफर।

भावनाविवश दिल...
सोचरहीत दिमाग़...

बस एक डर।  
के आदत हो जाएगी...


Naxalism. Policing. Government. Capitalism.

आग तो कब की जल चुकी
शोला भी कोयला बन बिक गया
फिर भी रोज ख़ाक छान कर संभालते हैं वो
अर्थव्यवस्था

आज सहमे बच्चें तो जल्द ही सीखेंगे ये खेल
और फिर खेलेंगे भी
और फिर संभालेंगे भी
अर्थव्यवस्था

कठपुतलियाँ!