Monday, March 30, 2015

I'm afraid you won't be afraid...


बह गए थोड़े थोड़े
तेरे सोने के आँसू

बहते ही रहे
मेरे सोने के आँसू

दिखता हैं डर मेरे आँखो में
देखती नही हैं तू

डर!
कौनसा डर!
डर के आगे जीत हैं!

Existential crisis!


Existential crisis!
अस्तित्व से पंगा!

दो बड़े राक्षस!
लो बड़े राक्षस!
क्यूँ , कौन!

न मैं आधी
न कविता पूरी
हर लमहा नंगा

Existential crisis
अस्तित्व से पंगा

Ego


बड़े पेड़ की छाया

खुश हो जाओ
धूप नहीं हैं यहाँ

या फिर…

दुखी हो जाओ
धूप नही हैं यहाँ

याद रहे,
तुम खुद भी तो बड़ा पेड़ बन सकते हो!

Chaos


जो कहा
वो कहा?
कहा क्या कहा क्या!
क्या कहा?

कहा तक?
राई से पहाड़ तक।
हौज़ से बूँद तक।

समझ से पार।
न जाओ यार।

?


हर दरवाज़े पे खड़ा। हमेशा।

रोके। टोके। झुकाए। जगाए।

वो रहे तो मैं रहू ।

हमसफ़र।

सवाल।

Time


बहता हैं वो।

हम लगाते पत्थर बीच में।

वो फिर भी बहता।

Not without you...


दोबारा मिली भी तो भी नहीं चाहिए।

अगर ना मिली तो?

जिंदगी।

तुम।

Hope


सपनो की दुनियाँ

हर सच मीठा हैं जहा पर
हर समस्या को हैं हल

ना पाने की हैं आरजू
ना बेवफ़ाई का हैं डर

जहा सपने हैं बेख़ौफ़

सपनो की भी एक दुनियाँ

मिलेगी कही कभी
या फिर,
नहीं कभी…